कोरोना के चलते जीते जी तो छोड़िए मरने के बाद भी अपने साथ छोड़ने लगे हैं। उज्जैन की कोरोना पॉजिटिव सलमा बी (65) की मौत के बाद यही स्थिति बनी। कब्रिस्तान में उन्हें दफनाने के लिए कोई जाने को तैयार नहीं था। भतीजे ने एंबुलेंस के ड्राइवर व स्वीपर की मदद से शव को दफनाया। हैं। वहीं, भोपाल में मृतक नरेश खटीक का सोमवार सुबह अंतिम संस्कार हुआ। विडंबना यह रही है कि उनकी न अर्थी काे कंधा मिल सका, न कोई अंतिम क्रिया हो पाई। पत्नी विजया भी अंतिम दर्शन नहीं कर पाई। उन्हें नर्मदा अस्पताल से प्लास्टिक किट बैग में पैक डेथ बॉडी एम्बुलेंस से उतारते वक्त के चंद सेकंड के लिए दिखाई गई। इससे पहले छिंदवाड़ा में भी कोरोना संक्रमित की मौत के बाद परिजन अंतिम दर्शन तक नहीं कर सके थे। न ही कोई अर्थी को कंधा दे सका था।
खरगोन: सेंधवा के 3 मरीजों के साथ 25 लोगों ने यात्रा की
सऊदी अरब की धार्मिक यात्रा में खरगोन जिले से 25 यात्री शामिल हुए थे। ये लोग सेंधवा में कोरोना पॉजिटिव मिले मरीजों के साथ थे। सभी ने 15 दिन तक सफर में साथ खाना-पीना किया। यात्रा से 13 मार्च को लौट आए थे, लेकिन सेंधवा के 3 यात्रियों में कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट मिलने से यहां हड़कंप है। रविवार को कसरावद के 3 यात्रियों के होम आइसोलेट होने के बाद यह खुलासा हुआ। इनकी हिस्ट्री लेने के बाद धीरे-धीरे खुलासा होता जा रहा है। जिले में सऊदी अरब से लौटे यात्रियों के आंकड़े बढ़ने की आशंका है।
भोपाल और उज्जैन की कहानियां: जब अंतिम समय अपनों ने छोड़ा साथ...